2025-04-06 17:26:49
पुकारते हैं दिल से भोले-भोले, आना है आ भी जाओ भोले, रास्ता खुला है मेरे मन का, आके बस भी जाओ मेरे भोले। पुकारते हैं दिल से ... क्या गगन और क्या धरा, बिन भोले जीवन में क्या धरा, साथ भोले का जो मिल गया, मानों सारा जहां मिल गया। पुकारते हैं दिल से ... भोले तो हैं सबसे निराले, जीवन के हैं वो रखवाले, भोले भक्ति में जो भी बहे, भोले ही उसे तारने वाले । पुकारते हैं दिल से .... कोई सपना नहीं हैं भोले, बतियाते हैं हम-भी अकेले, छोड़ा ही नहीं साथ हमनें, तार भक्ति के हमनें छेड़े। पुकारते हैं दिल से .... मुस्कुरानें लगे हैं भोले, जबसे भक्तों के लगे हैं मेले, आओ गंगा लहर संग खेलें, और दिल से भोले के ही हो लें। पुकारते हैं दिल से .... (208/261वां मनका ) कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी राम सी स्पेशल, गांधीनगर, इन्दौर