2024-12-21 13:04:06
नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने 2025 सीजन के लिए नारियल कोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में इसे मंजूरी दी। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 2025 सीजन के लिए मिलिंग खोपरा की उचित औसत गुणवत्ता के लिए एमएसपी 11582 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12100 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। 2014 के मुकाबले में इसमें 121 प्रतिशत और 120 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बयान में कहा गया है कि उच्च एमएसपी से न केवल नारियल उत्पादकों को बेहतर पारिश्रमिक मिलेगा, बल्कि किसानों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारियल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोपरा उत्पादन बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा। बयान में कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत कोपरा और छिलका रहित नारियल की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे। केंद्र की खरीद का मुख्य उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना तथा उपभोक्ताओं, विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों को उचित मूल्य पर वितरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि ज्यादा एमएसपी मिलने से न केवल नारियल उत्पादकों को लाभ मिलेगा बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नारियल उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए खोपरा उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहन भी मिलेगा। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नाफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत खोपरा और छिलके रहित नारियल की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे। बता दें कि केंद्र खाद्य सुरक्षा तथा मूल्य स्थिरता के लिए बफर स्टॉक रखता है। इसी प्रकार, केंद्र सरकार एफसीआई तथा राज्य एजेंसियों के माध्यम से धान, मोटे अनाज तथा गेहूं को मूल्य समर्थन प्रदान करती है। निर्दिष्ट केंद्रों पर बिक्री के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप सभी खाद्यान्न (गेहूं तथा धान) सार्वजनिक खरीद एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे जाते हैं, जिसमें घोषित बोनस (यदि कोई हो) भी शामिल होता है। किसानों के पास अपनी उपज को एफसीआई/राज्य एजेंसियों को एमएसपी पर या खुले बाजार में बेचने का विकल्प होता है, जो उनके लिए सुविधाजनक हो।