2025-08-19 19:02:15
इस साल की अमरनाथ यात्रा पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन गई। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के प्रयासों से तीर्थयात्रा पूरी तरह जीरो-लैंडफिल और प्लास्टिक-फ्री रही। करीब चार लाख श्रद्धालुओं ने इस पवित्र यात्रा में हिस्सा लिया और स्वच्छता अभियान को सफल बनाया। अधिकारियों ने बताया कि यात्रा के दौरान रोजाना करीब 11.67 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न हुआ, जिसे पूरी तरह से कम्पोस्टिंग और रीसाइक्लिंग के जरिए निपटाया गया। इसके लिए 1,016 ट्विन-बिन स्टेशन, 65 कचरा संग्रहण वाहन और लगभग 1,300 सफाईमित्रों की तैनाती की गई थी। इनकी मदद से लंगर स्थलों, आवास केंद्रों और यात्रा कैंपों में लगातार साफ-सफाई बनाए रखी गई। वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते में 1,600 से ज्यादा मोबाइल टॉयलेट लगाए गए, जिनमें क्यूआर-कोड आधारित फीडबैक सिस्टम भी था। इन टॉयलेट्स पर 20,000 से अधिक यात्रियों ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई। अधिकारियों ने बताया कि यात्रा से उत्पन्न सभी मल-कीचड़ का निपटारा निर्धारित ट्रीटमेंट प्लांट्स में किया गया। प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए लंगरों ने पूरी तरह सिंगल-यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था। इस दौरान 15,000 से ज्यादा कपड़े और जूट के बैग बांटे गए। साथ ही “प्लास्टिक लाओ, थैला ले जाओ” और “बिन इट, विन इट” जैसी पहल से यात्रियों को कचरा अलग करने और जिम्मेदारी से फेंकने के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा “ग्रीन प्लेज” अभियान भी चलाया गया, जिसमें 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इन सभी ने यात्रा के दौरान और भविष्य में भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहने का संकल्प लिया।