कला समीक्षा ‘मध्यमा – आत्मा की एक यात्रा’ आशीमा मेहरोत्रा

नई दिल्ली स्थित AIFACS की गैलरी ‘बी’ में इन दिनों कलाकार आशीमा मेहरोत्रा की एकल चित्रकला प्रदर्शनी
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2025-04-12 19:51:34

नई दिल्ली स्थित AIFACS की गैलरी ‘बी’ में इन दिनों कलाकार आशीमा मेहरोत्रा की एकल चित्रकला प्रदर्शनी मध्यमा-आत्मा की एक यात्रा दर्शकों को एक गहन आत्मीय और चिंतनशील यात्रा पर आमंत्रित कर रही है। यह प्रदर्शनी 12 अप्रैल 2025 से आमजन के लिए खुली है।‘मध्यमा’ शब्द वैदिक दर्शन से लिया गया है, जो उस मौन और अंतर्निहित संवाद को दर्शाता है जो किसी भी रचनात्मक अभिव्यक्ति से पहले हमारे भीतर जन्म लेता है। यही सूक्ष्म और अनकहे क्षण आशीमा की कलाकृतियों की आत्मा हैं।यह प्रदर्शनी किसी एक विषय तक सीमित नहीं है,बल्कि विविध मन:स्थितियों और भावनात्मक रंगों का एक चित्रमय संगम है—प्रत्येक कृति एक नए अनुभव, एक नई आत्म-परत को उजागर करती है। प्रदर्शनी का उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुणीश चावला और दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त श्री अनिल सूकलाल व उकी पत्नी द्वारा किया गया। इस अवसर पर AIFACS अध्यक्ष श्री बिमल बिहारी दास, सदस्य परिचालन और व्यवसाय विकास/रेलवे बोर्ड हितेंद्र मल्होत्रा, IRFC के सीएमडी श्री मनोज कुमार दुबे और सुश्री नीरजा सरीन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनकी गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक उल्लेखनीय बना दिया। आशीमा मेहरोत्रा एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं, जिन्होंने बचपन से ही कला को आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है। उन्होंने पाँच वर्ष की आयु में चित्रकारी आरंभ की और शब्दों के पहले रंगों से संवाद करना सीखा। 2019 में अपने भाई की असमय मृत्यु के बाद उन्होंने अपने भीतर के कलाकार को पुनः जीवित किया और अपनी कला को सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुत किया। उनकी पहली एकल प्रदर्शनी जहाँगीर आर्ट गैलरी (मुंबई) में आयोजित हुई, जिसे देश-विदेश में सराहना मिली। उनकी एक कृति ने न्यूयॉर्क आर्ट प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई। प्रदर्शनी की कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं:‘Gaze’ (2025) — एक सशक्त और आत्म-संवादात्मक दृष्टि को दर्शाती कृति। ‘NEELVARNA’ (2021) एवं NEELVARNA 2.0 (2020) — नीले रंगों में आध्यात्मिक गहराई और शांति का अनुभव।‘HOLY CITY’ (2022) —एक पवित्र नगरी की छवि, जिसमें अध्यात्म और नगरीयता का संगम है। ‘Vivhatsa’ (2025) — जटिल मानवीय भावनाओं, विशेष रूप से वितृष्णा की सशक्त कलात्मक व्याख्या।‘मध्यमा’ केवल एक प्रदर्शनी नहीं,बल्कि आत्मा से संवाद करने का अवसर है। यह अनुभव दर्शकों को भीतर झाँकने,महसूस करने और अपने अस्तित्व से जुड़ने की प्रेरणा देता है।यह एक सच्ची और ईमानदार कलात्मक प्रस्तुति है—हृदय से उपजी और हृदय तक पहुँची हुई।

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