2024-01-03 15:30:20
कोरबा/कटघोरा:- शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए हर साल लाखों रुपए विभिन्न मदो के माध्यम से दिए जाते है, ताकि गांव का विकास हो और आमजन को सुख सुविधा मिल सके। लेकिन दुर्भाग्य कहें कि निजी स्वार्थ सिद्धि में जनप्रतिनिधि बने भ्रष्ट्र किस्म के सरपंच कुर्सी और पैसा मिलते ही अपने आप को जागीरदार से कम नही समझने लगते। ये लोग शासकीय राशि का कितना सदुपयोग और कितना दुरुपयोग करते है, इसका एक उदाहरण आपको मोहनपुर ग्राम पंचायत में देखने को मिल जाएगा। जहां पर सरपंच- सचिव ने अपनी मनमर्जी से अमानत में खयानत का कार्य करते हुए सीसी रोड की राशि का गबन कर दिया।
कटघोरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मोहनपुर को विकास के लिए शासन द्वारा पंचायत मद में स्वीकृत किये गए राशि मे सरपंच- सचिव द्वारा लाखों रुपए निकालने के बाद भी कई काम अधूरे या मौके पर कोई निर्माण नही हुआ है। यहां की सरपंच व सचिव के मिलीभगत से आश्रित ग्राम आछीदादर में दयाराम घर से राखी घर तक गली कांक्रीट कार्य का फर्जी प्रस्ताव बनाकर 15वें वित्त मद से 1 लाख 17 हजार 3 सौ रुपए की राशि आहरण कर ली गई है। लेकिन मौके पर कोई निर्माण न होकर कच्चा रास्ता ही दिख रहा है। सरकारी ऑनलाइन सिस्टम के अनुसार सरपंच सचिव द्वारा जो राशि निकाली गई है उसके अनुसार रिचार्ज बाउचर की तिथि 12 अप्रैल 2022 को 1 लाख व 4 मई 2022 को 17.300 रुपए आहरण का उल्लेख है, जबकि काम ढेला भर नही कराया गया है। आछीदादर निवासी ग्रामीणों के अनुसार पंचायत की ओर से सीसी रोड निर्माण के लिए एक वर्ष पूर्व दयाराम घर के समीप रेत गिराया गया था, वह भी धीरे- धीरे कर गायब हो गया, पक्का रोड तो आजतक बना ही नही।
बता दें कि सरपंच सचिव ने मंच, पचरी निर्माण, पेयजल व्यवस्था, कूड़ादान, स्नानागार निर्माण, मार्ग मुरुमीकरण, फर्नीचर क्रय सहित अन्य कार्य के लिए मूलभूत, 14वें, 15वें वित्त मद से लाखों रुपए आहरण किये है लेकिन अधिकतर कार्य फाइलों में हुआ है और जो काम कराए भी गए है वे या तो आधा अधूरा या कार्य से अधिक की राशि निकाली गई है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत मद की राशि से कराए जाने वाले कार्यों का सत्यापन करने किसी की शायद जिम्मेदारी तय नही है। जिसकी वजह से शासकीय राशि की होली खेली गई है।
सचिव के क्रियाकलापो से असंतुष्ट ग्रामीण
ग्राम पंचायत मोहनपुर के ग्रामीण अपने सचिव रहीम अली के क्रियाकलापों से असंतुष्ट है। ग्रामीणों का कहना है कि सचिव ज्यादातर समय अपने गृह ग्राम मल्दा में बिताते हैं, जो सप्ताह में एकाक बार ग्राम में आते है और भ्रमण कर चले जाते है। जिसका किसी को पता भी नही चल पाता। जिससे सचिव के पंचायत में उपस्थिति निर्धारित न रहने के कारण उन्हें जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र, पेंशन, राशनकार्ड सहित सचिव संबंधित अन्य कार्यों के लिए भटकना पड़ता है।