दिल्ली एनसीआर प्रदूषण वायु प्रदूषण गले को कर रहा खराब

दिल्ली-एनसीआर के शहर फरीदाबाद में एक लेवल 255 गुरुग्राम में 348 गाजियाबाद में 336 ग्रेटर नोएडा में 276 और नोएडा में 342 अंक बना हुआ है।
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2024-12-21 16:53:09

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण अति गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। आम लोगों का सांस लेना तक दूभर हो चुका है। लोग अपने घरों से मास्क लगाकर बाहर निकल रहे हैं। महीने भर से सिलसिला जारी है हालांकि बीच में कुछ हद तक स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन एक बार फिर एक्यूआई ने लोगों की पेशानी पर बल डाल दिया है। प्रदूषण से कान, नाक और गले पर भी बुरा असर पड़ता है। हाल ही में इसे लेकर दिल्ली में एक सर्वे कराया गया, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आए।आपको बता दें केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राजधानी दिल्ली में आज (शुक्रवार) सुबह 8:30 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 434 अंक बना हुआ है, जबकि दिल्ली-एनसीआर के शहर फरीदाबाद में एक लेवल 255 गुरुग्राम में 348 गाजियाबाद में 336 ग्रेटर नोएडा में 276 और नोएडा में 342 अंक बना हुआ है।अगर किसी क्षेत्र के एक्यूआई 0 से 50 के बीच रहता है, तो उसे अच्छी श्रेणी की हवा गुणवत्ता कहा जाता है। 51 से 100 के बीच संतोषजनक वायु गुणवत्ता माना जाता है। 101 और 200 की एक्यूआई श्रेणी को मध्यम श्रेणी का माना जाता है। अगर किसी जगह का एक्यूआई 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का एक्यूआई ‘खराब’ माना जाता है।हेल्थकेयर प्रदाता प्रिस्टीन केयर द्वारा कराए सर्वेक्षण में दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर आदि शहरों के 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। इनमें से लगभग आधे (41 प्रतिशत) ने उच्च प्रदूषण की अवधि के दौरान आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, जबकि 55 प्रतिशत ने अपने कान, नाक या गले को प्रभावित करने वाली समस्याओं की बात बताई। इनमें से 38 प्रतिशत ने प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की है। इसके प्रभावित लोगों में आंखें में लालिमा और खुजली जैसे आम लक्षण दिखाई दिए। लोगों ने प्रदूषण बढ़ने के दौरान इन बीमारियों में वृद्धि का उल्‍लेख किया। इसमें गले में खराश, नाक में जलन और कान में तकलीफ जैसी ईएनटी समस्याएं भी शामिल थीं। इन स्वास्थ्य समस्‍याओं ने दीर्घकालिक चिंताएं पैदा की। सबसे अहम बात इस सर्वेक्षण में सामने आई कि ईएनटी समस्‍याओं से जूझ रहे 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से परामर्श नहीं करते। प्रिस्टिन केयर के ईएनटी सर्जन डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया, ”खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। बच्चे विशेष रूप से इसके प्रति संवेदनशील हैं। ऐसी हवा के संपर्क में आने से नाक और कान में संवेदनशील श्लेष्म झिल्ली में जलन हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ पुरानी स्थितियां हो सकती हैं। इन सबसे बचने के लिए बाहरी संपर्क को कम करना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है। इसके साथ ही आंखों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।” वहीं, प्रिस्टिन केयर के सह-संस्थापक डॉ वैभव कपूर ने कहा, “यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभाव को कितने हल्के में लेते हैं। आंख और ईएनटी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।” इन चुनौतियों के बावजूद सर्वेक्षण ने जनता के बीच इससे निपटने के उपायों को अपनाने में कमी नजर आई। केवल 35 प्रतिशत ने सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनने की सूचना दी, और लगभग 40 प्रतिशत ने उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ईएनटी से संबंधित मुद्दों के लिए कोई विशेष सावधानी नहीं बरतने की बात स्वीकार की। फिर भी, आधे से अधिक लोगों ने आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंता व्यक्त की। (आईएएनएस)

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