2025-02-21 20:40:52
- खुशी दुबे हमारा पर्यावरण, जो कभी जीवन का आधार था, आज मानवीय गतिविधियों के कारण गंभीर खतरे में है। औद्योगिक क्रांति से लेकर आधुनिक युग तक, हमने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है, जिसके परिणाम अब हमारे सामने हैं। प्रदूषित हवा, दूषित पानी, घटते वन, और पिघलते ग्लेशियर–ये सब हमारे पर्यावरण के बीमार होने के संकेत हैं और इस बीमार पर्यावरण का सबसे ज़्यादा असर पड़ रहा है हमारे स्वास्थ्य पर। यह सर्वविदित है कि स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करता है। लेकिन, जैसे-जैसे हम वनों को काटते हैं, प्राकृतिक आवासों को नष्ट करते हैं, हम इस सुरक्षा कवच को कमज़ोर करते जा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। हाल ही में आई कोविड-19 महामारी इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। आजकल, पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा बन गया है जो लगातार मानवीय गतिविधियों का शिकार होकर दूषित होता जा रहा है। शहरों में गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं हमारी हवा को ज़हरीला बना रहा है। नदियों और तालाबों में औद्योगिक कचरा और सीवेज डाला जा रहा है, जिससे पानी पीने लायक नहीं रह गया है। इस प्रदूषण का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ, हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत का कारण बनता है। जलवायु परिवर्तन एक और गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे मौसम में बदलाव हो रहा है। कहीं बाढ़ आ रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। इन सभी बदलावों का हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में लू लगने से लोगों की मौत हो रही है। बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं। सिर्फ़ यही नहीं, हमारी बदलती जीवनशैली भी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आजकल, हम जंक फूड खाने और व्यायाम न करने के आदी हो गए हैं। इसका नतीजा यह है कि मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। यह ज़रूरी है कि हम इस गंभीर स्थिति को समझें और पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठाएं। हमें प्रदूषण को कम करना होगा, वनों की कटाई को रोकना होगा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना होगा, और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी। यह न सिर्फ़ हमारे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जागरूकता फैलाना, लोगों को प्रेरित करना और सामूहिक प्रयास ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम जागें और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए एकजुट हों। अन्यथा, इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।