दिनकर की ज्वाला आज भी प्रासंगिक राधा गोविंद विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के बीच परिचर्चा

राधा गोविंद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती के अवसर पर चर्चा-परिचर्चा का आयोजन किया गया
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2025-09-24 18:23:52

राधा गोविंद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती के अवसर पर चर्चा-परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था— “दिनकर का साहित्य और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा”। इसमें विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की और दिनकर के साहित्य पर अपने विचार साझा किए। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी एन साह ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि दिनकर ने युवाओं को साहस और आत्मबल का संदेश दिया। उनकी कविताएँ हमें यह सिखाती हैं कि कठिनाइयों से डरना नहीं, बल्कि उनका डटकर सामना करना चाहिए। वहीं सचिव प्रियंका कुमारी ने कहा कि दिनकर का साहित्य युवाओं में विद्रोह की भावना नहीं, बल्कि सकारात्मक संघर्ष की चेतना जगाता है। उनके शब्द हर बार हमें जागृत करते हैं— ‘जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध। कार्यक्रम का शुभारंभ हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनमीत कौर ने दीप प्रज्वलन और राष्ट्रकवि दिनकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि दिनकर केवल कवि नहीं थे, बल्कि युग की अंतरात्मा थे। उनकी कविताओं में संघर्ष, राष्ट्रप्रेम और आत्मबल की ऐसी शक्ति है, जो हर युग के युवा को प्रेरित करती रहेगी। परिचर्चा में कई विद्यार्थियों ने दिनकर की कविताओं और विचारों को आज की परिस्थितियों से जोड़ते हुए अपने वक्तव्य रखे। किशोर कुमार महतो (एम.ए.) ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दिनकर की रचनाओं में सामाजिक समानता और न्याय की पुकार है। उनकी लेखनी ने हमेशा दलितों, किसानों और शोषित वर्ग को आवाज दी। यह संदेश आज की पीढ़ी के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रीति कुमारी (एम.ए. प्रथम सेम.) ने कहा—“आज का युवा भले ही तकनीक की चकाचौंध में व्यस्त हो, लेकिन दिनकर की कविताएँ उसे अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़े रख सकती हैं। उनकी रचनाएँ हमें राष्ट्रीय अस्मिता और मानवीय मूल्यों को संजोए रखने की प्रेरणा देती हैं।” पूरे कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों में उत्साह और ऊर्जा देखने को मिली। कई छात्रों ने दिनकर की प्रसिद्ध कविताओं का वाचन भी किया, जिससे वातावरण राष्ट्रभक्ति और साहित्यिक ओज से गूंज उठा। मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) रश्मि, कुलसचिव प्रो (डॉ) निर्मल कुमार मंडल, वित्त एवं लेखा पदाधिकारी डॉ संजय कुमार, परीक्षा नियंत्रक प्रो डॉ अशोक कुमार, प्रबंध समिति सदस्य अजय कुमार एवं विभाग के अन्य व्याख्यातगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी चन्द्रशेखर महतो ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सत्येन्द्र कुमार ने प्रस्तुत किया। डॉ. अंजनी कुमार मिश्रा ने अपने समापन संबोधन में कहा कि दिनकर का साहित्य युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा। उनकी कविताएँ आज भी हमें यह संदेश देती हैं कि केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि कर्म और संघर्ष से ही जीवन का उत्थान संभव है। कार्यक्रम के समापन पर विद्यार्थियों में गहरा उत्साह देखा गया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल साहित्य की समझ को गहरा करते हैं, बल्कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से भी जोड़े रखते हैं। विद्यार्थियों ने आग्रह किया कि भविष्य में भी इसी प्रकार की साहित्यिक गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित होती रहें। अंत में परिचर्चा में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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