2025-01-03 11:59:49
नई दिल्ली : भारत में आंध्रा प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात आदि मे मुख्य रूप से पालक की खेती की जाती है। आमतौर पर पालक की सफलतापूर्वक खेती के लिए ठण्डी जलवायु की आवश्यकता होती है। ठण्ड में पालक की पत्तियों की बढ़वार अधिक होती है। जबकि तापमान अधिक होने पर इसकी बढ़वार कम होती है। वहीं, पालक की खेती मध्यम जलवायु में वर्षभर की जा सकती है। ऐसे मे जो किसान भाई साल भर पालक की खेती लेना चाहते है उन्हे पालक की नयी उन्नत किस्म काशी बारहमासी की खेती करनी चाहिए । उल्लेखनीय है, पालक काशी बारहमासी मे ऊष्मा साध्यता ( 40-45 डिग्री ) और आर्द्रता के प्रति सहनशीलता है। साथ ही इस प्रजाति मे बोलटिंग भी जल्दी नहीं होती है । इस प्रजाति की पत्तियाँ रसीली,आकर्षक गहरे हरे रंग की,चिकनी किनारे वाली होती है। इन खूबियों की वजह से इस प्रजाति की खेती साल भर की जा सकती है। दिसंबर से फरवरी माह मे बुआई की गयी पालक काशी बारहमासी की औसत उपज 120-170 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। वहीं, मार्च से जुलाई वाली फसल मे 180-235 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अगस्त से नवम्बर वाली फसल की औसत उपज 500 -800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। पालक की बुआई करने के 3-4 सप्ताह बाद इसकी 5-6 बार कटाई की जाती है। किसान भाई पालक की पत्तियों और बीज को बेच कर अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते है। अगर आप भी पालक काशी बारहमासी की व्यावसायिक खेती या गृह वाटिका मे लगने हेतु इक्षुक हैं तो घर बैठे ही ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम इसका बीज राष्ट्रीय बीज निगम (भारत सरकार का उपक्रम) से मँगवा सकते है। बीज ऑनलाइन ऑर्डर करने हेतु आप राष्ट्रीय बीज़ निगम की वेबसाइट www.indiaseeds.com और ओएनडीसी-माय स्टोर (ओएनडीसी-मेरा स्टोर) के ऐप पर या इन्ही के दवरा दिए गई क्यू आर कोड पर भी कर सकते है।