2025-08-16 20:35:11
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर की सामाजिक संस्था एचआरडीएस इंडिया ने जन्माष्टमी का पर्व वंचित बच्चों के साथ मिलकर मनाया। संस्था ने इस अवसर को केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित न रखते हुए इसे सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ा। बच्चों की उमंग और सक्रिय सहभागिता ने इस पर्व को करुणा, प्रेम और समाज के सबसे कमजोर वर्ग की रक्षा जैसे श्रीकृष्ण के शाश्वत संदेश से सच्चे अर्थों में सराबोर कर दिया। इस मौके पर गुरु आत्मा नम्बी ने कहा, “भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म का पालन करना केवल पूजा-पाठ में नहीं बल्कि जरूरतमंदों की रक्षा और सेवा में है। यदि हम किसी अनाथ को सहारा देते हैं, किसी भूखे को भोजन कराते हैं या किसी संघर्षरत परिवार का साथ बनते हैं—तो यही सर्वोच्च भक्ति है। एचआरडीएस इंडिया की पहलें, चाहे गरीबों के लिए आवास निर्माण हो, आदिवासी महिलाओं का सशक्तिकरण हो या ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं—ये सब श्रीकृष्ण के शाश्वत संदेश को धरातल पर उतारने का प्रयास हैं।” उन्होंने आगे कहा कि आज की दुनिया में हिंसा, असमानता और निराशा जैसी समस्याओं का समाधान केवल प्रेम और निष्काम भक्ति में है। “जब हम अपने हृदय में प्रेम को जगाते हैं और निष्काम भाव से ईश्वर को समर्पित होते हैं, तो हमारे कर्म स्वाभाविक रूप से मानवता की सेवा की ओर बढ़ते हैं। यही सच्चा रूपांतरण है,” उन्होंने जोड़ा। इस अवसर पर एचआरडीएस इंडिया के सचिव अजी कृष्णन ने कहा, “जन्माष्टमी केवल भक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का स्मरण भी है। जब हम भूमिहीन परिवारों के लिए घर बनाते हैं, महिलाओं को आजीविका शुरू करने में मदद करते हैं या दूरस्थ गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम श्रीकृष्ण के मूल्यों को व्यवहार में उतार रहे होते हैं। हमारा प्रयास है कि कोई भी समुदाय पीछे न रह जाए।” संस्था अपने प्रमुख कार्यक्रमों जैसे ‘सद्गृह’ (आदिवासियों के लिए आवास), ‘ज्वालामुखी’ (महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता), ‘कर्षक’ (जैविक खेती व सतत आजीविका), और ‘निर्मया’ (ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं) के माध्यम से सेवा की इस भावना को लगातार समाज तक पहुँचा रही है। बच्चों के साथ यह आयोजन इस बात की याद दिलाने वाला था कि जन्माष्टमी केवल भक्ति का पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, देखभाल और आशा बांटने का अवसर भी है। जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने सदैव कमजोरों की रक्षा की, उसी प्रकार एचआरडीएस इंडिया भी समाज के हाशिये पर खड़े समुदायों के साथ खड़े होकर जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।