आयकर दिवस 2025 भारत की कर व्यवस्था में सुधार, डिजिटलीकरण और जनभागीदारी का उत्सव

भारत आज 24 जुलाई को अपना 166वां आयकर दिवस मना रहा है,
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2025-07-24 15:53:44

भारत आज 24 जुलाई को अपना 166वां आयकर दिवस मना रहा है, यह दिवस 1860 में सर जेम्स विल्सन द्वारा भारत में आयकर की शुरुआत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस वर्ष, आयकर दिवस 2025 की थीम “डिजिटल परिवर्तन की एक यात्रा” है। यह दिन हमें भारत की कर व्यवस्था की ऐतिहासिक यात्रा और प्रगति की याद दिलाता है। आयकर केवल एक राजस्व स्रोत नहीं, बल्कि एक सशक्त, समावेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आधारशिला है। आयकर रिटर्न फाइल में उल्लेखनीय वृद्धि वित्त वर्ष 2024-25 में आयकर विभाग ने 9.19 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए, जिसमें अपडेटेड रिटर्न भी शामिल हैं। वहीं बीते पांच वर्षों में आईटीआर दाखिल करने वालों की संख्या में 36% की वृद्धि दर्ज की गई है 2020-21 में जहां 6.72 करोड़ रिटर्न भरे गए थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा 9.19 करोड़ तक पहुंच गया। इसके साथ ही आयकर संग्रह में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2020-21 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹12.31 लाख करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़कर ₹27.02 लाख करोड़ (31 मार्च 2025 तक प्रोविजनल आंकड़ा) तक पहुंच गया। यह 5 वर्षों में दोगुनी से अधिक वृद्धि दर्शाता है, जो देश की आर्थिक मजबूती और कर अनुपालन की बेहतर स्थिति का संकेत देता है। डिजिटल इंडिया की दिशा में आयकर विभाग की पहलों ने टैक्स आधार और पारदर्शिता को व्यापक रूप से सुदृढ़ किया है। वार्षिक सूचना विवरण (AIS) और करदाता सूचना सारांश (TIS) के माध्यम से प्री-फिल्ड रिटर्न की सुविधा ने करदाता अनुभव को सरल और त्रुटिरहित बनाया है। वहीं प्रोजेक्ट ‘इनसाइट’, फेसलेस एसेसमेंट, AIS प्लेटफॉर्म और TIN 2.0 जैसे प्लेटफॉर्म आधुनिक भारत के डिजिटल कर प्रशासन की रीढ़ बन चुके हैं। मैसूर में डिमांड फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना, हेल्प डेस्क, और टोल-फ्री सेवाओं ने विभागीय कार्यप्रणाली को और प्रभावी तथा पारदर्शी बना दिया है। इसके अलावा सरकार द्वारा लागू की गई ‘नज पहल’ (NUDGE initiative) व्यवहारिक अर्थशास्त्र के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका उद्देश्य करदाताओं को बिना डर या दंड के स्वैच्छिक रूप से सही कर रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रेरित करना है। इसके अंतर्गत, वित्त अधिनियम 2025 के तहत, अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है, जिससे करदाता अपनी त्रुटियों को सुधाकर कर का सही भुगतान कर सकते हैं। बजट 2025-26 में करदाताओं को विशेष राहत दी गई है। नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देय नहीं है। वेतनभोगी करदाता को मानक कटौती के बाद 12.75 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। यह कदम मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और घरेलू खर्च व निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार ने टीडीएस/टीसीएस को सरल बनाने के लिए भी कई बदलाव किए हैं, जैसे कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर टीडीएस सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख करना, किराए पर टीडीएस सीमा को ₹2.4 लाख से ₹6 लाख तक बढ़ाना, और विदेशी रेमिटेंस पर TCS की सीमा ₹7 लाख से ₹10 लाख तक करना शामिल है। देरी से टीसीएस भुगतान को अपराध की श्रेणी से हटाना भी इसी दिशा में एक स्वागतयोग्य पहल है। वित्त अधिनियम, 2025 के तहत लाए गए नए आयकर विधेयक 2025 का उद्देश्य मौजूदा 1961 के आयकर अधिनियम को सरल भाषा और स्पष्टता के साथ दोहराना है। यह अधिनियम पुराने प्रावधानों को बरकरार रखते हुए अनावश्यक जटिलताओं को हटाकर करदाता अनुभव को और बेहतर बनाएगा। आयकर दिवस 2025 न केवल भारत के मजबूत कराधान ढांचे का उत्सव है, बल्कि इस बात की भी पुष्टि है कि कैसे तकनीक, पारदर्शिता और विश्वास के आधार पर कर प्रशासन को नागरिकों के लिए सरल और सुलभ बनाया जा सकता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि करदाता और कर विभाग दोनों की सहभागिता से ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकता है।

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