मारहरा का मुडिया और गोला बेर प्रदेश भर में घोल रहा मिठास

10 से 15 हैक्टैयर में हो रही बागबानी बागवानों के चहरों पर छलक रहीं मुनाफे की खुशियां एटा। मारहरा विकासखंड क्षेत्र का बेर प्रदेश भर में मिठास घोल रहा है।
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2025-02-21 16:27:16

अलीग कासगंज: 10 से 15 हैक्टैयर में हो रही बागबानी बागवानों के चहरों पर छलक रहीं मुनाफे की खुशियां एटा। मारहरा विकासखंड क्षेत्र का बेर प्रदेश भर में मिठास घोल रहा है। बेर की फसल बिक्री के लिए तैयार है जिसें बागबान कई मंडियों में बिक्री को ले जा रहे हैं। यहां की गोला प्रजाति का बेर अपनी मिठास और खुशबू के लिए काफी मशहूर है। 10 से 15 हेक्टेयर क्षेत्र में की जा रही बागवानी में बागबानें ने मुताबकि 150 टन तक पैदावार मिलती है। बागबानी में मारहरा ने हमेशा परचम लहराया है। आम हो या अमरूद या गुलाबी मौसम में स्वाद देेने वाला बेर, जो उप्र के विभिन्न जिलों में ही नहीं, अन्य प्रदेशों तक में भेजा जाता है। यहां आधा दर्जन प्रजातियों के बेर की बागवानी की जाती है। सबसे खास और महंगी प्रजाति गोला बेर की है, जो देखने में नीबू के आकार का होता है। इसके अलावा मुड़िया बेर पूरी तरह पकने के बाद मथुरा के पेड़े का स्वाद देता है। गुलाबी मौसम में कस्बा की सडकें से गूजरने वाले राहगीर के बेरों की खुशबू की महक से खरीदने के लिए कदम रूक जाते हैं। इन प्रजातियों की होती है खेती गोला, मुडिया, चपटा, गेंठा, खट्टा और बताशा की खेती कस्बा में बहुतायत में की जाती है। जिससे बागवानी करने वालों और कारोबारियों को मोटा मुनाफा होता है। यहां तक भेजे जाते हैं बेर यूपी के विभिन्न जिलों के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार प्रांत तक यहां से खास बेर भेजे जाते हैं। स्थानीय मंडी में बेरों का भाव 20 से 30 रुपये किलो मिल रहा है। जबकि बाहर की मंडियों में यह 50 से 100 रुपये किलो तक बिक जाता है। जिसके चलते अधिक मात्रा बाहर की मंडियों में ही भेज दी जाती है।

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