2025-07-29 22:23:08
देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू हुए आज पांच साल पूरे हो गए। इसे 29 जुलाई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद लागू किया गया जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में 34 वर्षों बाद एक बड़ा सुधार था। पिछले पांच वर्षों में यह नीति भारत के लाखों बच्चों, शिक्षकों और स्कूलों के लिए परिवर्तन का प्रतीक बन चुकी है। NEP 2020 का मकसद सिर्फ पाठ्यक्रम बदलना नहीं, बल्कि एक ऐसे शिक्षा तंत्र का निर्माण करना है जो लचीला और बच्चों के अनुकूल हो, जिसमें जिज्ञासा, रचनात्मकता और विविधता का समावेश हो। इस नई शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ा बदलाव 5+3+3+4 है, जिसने पारंपरिक 10+2 प्रणाली को पीछे छोड़ दिया। इसके तहत प्ले-आधारित, अनुभवात्मक और बहु-विषयक पढ़ाई को बढ़ावा दिया गया है। NCF-FS ( तीन वर्ष से आठ वर्ष की आयु तक यानी पूर्व-प्राथमिक (Pre-primary) और कक्षा 1 और 2 के बच्चों को इसमें शामिल किया गया है।) इसके साथ ही NCF-SE 2023 (आठ वर्ष से अठ्ठारह की आयु तक यानी तैयारी चरण (Preparatory Stage) से लेकर माध्यमिक चरण (Secondary Stage) तक जिसमें कक्षा 3 से लेकर कक्षा 12 के बच्चों को शामिल किया गया है।) जैसे पाठ्यचर्या संरचना इस बदलाव का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इस प्रणाली में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) को प्राथमिकता देते हुए, ‘NIPUN भारत मिशन’ 2021 में शुरू किया गया जिसमें सभी बच्चों को तीसरी कक्षा तक पढ़ना और बुनियादी गणित सिखाना लक्ष्य है। वहीं ‘विद्या प्रवेश’ कार्यक्रम के माध्यम से 4.2 करोड़ बच्चों ने 12-सप्ताह का खेल-आधारित स्कूल रेडीनेस कोर्स पूरा किया। जबकि बालवाटिका में 1.1 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ और 496 मॉडल केंद्र खोले गए। बुनियादी साक्षरता और प्ले-आधारित शिक्षण को मिली नई दिशा शिक्षक प्रशिक्षण भी इस नीति का अहम हिस्सा है। NISHTHA प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 12.97 लाख से अधिक शिक्षकों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) के लिए प्रशिक्षित किया गया। डिजिटल माध्यम में दीक्षा प्लेटफॉर्म के जरिए 2778 से अधिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) कंटेंट उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं 2024 में हुए PARAKH राष्ट्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों के तीसरी कक्षा के बच्चों ने निजी और शहरी स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन किया। ASER 2024 रिपोर्ट में बताया गया कि 23.4% बच्चे ग्रेड-2 स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम हैं, जो 2005 के बाद से सबसे अच्छा आंकड़ा है। शिक्षा में समानता और समावेशिता की ओर बढ़ते कदम समग्र शिक्षा योजना के तहत भारत का सकल नामांकन अनुपात (GER) 2023-24 में प्राथमिक स्तर पर 97.8% और उच्च प्राथमिक पर 96.57% तक पहुंच गया। अब 98.4% स्कूलों में पीने का पानी, 97.1% में बालिकाओं के लिए शौचालय, और 85.1% स्कूलों में बिजली उपलब्ध है। नेताजी सुभाष आवासीय विद्यालय में 1.15 लाख बच्चों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में 7.58 लाख बालिकाओं को समावेशी आवासीय शिक्षा मिल रही है। वहीं प्रशस्त ऐप के जरिए 21 तरह की दिव्यांगों की पहचान आसान हुई और शिक्षकों को बच्चों की विशेष जरूरतों को समझने का उपकरण मिला है। भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) को अब एक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। अब तक 1000 से अधिक ISL वीडियो और 46 विषयों में टॉकिंग बुक्स तैयार की गई हैं। इस पहल के चलते भारत को 2021 में यूनेस्को किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार मिला। इसके अलावा मल्टीलिंग्वल शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। NCF 2023 के अनुसार, “Mridang” (अंग्रेजी), “Sarangi” (हिंदी) और “Joyful Mathematics” जैसे पाठ्यपुस्तकों को भारतीय संस्कृति और बहुभाषिकता से जोड़ा गया है। इसके साथ ही व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Education) को तीसरी कक्षा से एक्सपोजर और छठी से विषय के रूप में शामिल किया गया है। पीएम ई-विद्या से दूरस्थ-शिक्षा को बढ़ावा वहीं DIKSHA प्लेटफॉर्म अब 133 भारतीय भाषाओं में सामग्री देता है। पीएम ई-विद्या के तहत 200 DTH चैनलों के माध्यम से दूरदराज के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। राष्ट्रीय विद्या समीक्षा केंद्र (RVSK) पूरे देश के शिक्षा डेटा का रीयल टाइम विश्लेषण कर रहा है। इसके अलावा अब तक 14 लाख से अधिक शिक्षक NISHTHA के तहत प्रशिक्षित हो चुके हैं। स्कूलों में बच्चों के ज्ञान को अब सिर्फ परीक्षा ही नहीं, बल्कि 360-डिग्री मूल्यांकन (Holistic Progress Cards) के जरिए रचनात्मकता, सामाजिक व्यवहार और समुदाय भागीदारी को भी आंका जा रहा है। 2024 के राष्ट्रीय मूल्यांकन में PARAKH संस्था के जरिए 21.15 लाख छात्रों और 2.7 लाख शिक्षकों को शामिल किया गया, जिसमें सरकारी और ग्रामीण स्कूलों ने बेहतर प्रदर्शन किया। इस तरह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीय स्कूल शिक्षा को बच्चों के लिए आनंददायक, समावेशी और कौशल-आधारित बना दिया है। डिजिटल तकनीक, शिक्षक सशक्तिकरण, बालिका शिक्षा, दिव्यांग सहयोग और मातृभाषा में पढ़ाई के माध्यम से यह नीति एक उज्ज्वल और समान भविष्य की ओर ले जा रही है। यह बदलाव अभी जारी है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं।