जैन धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्म हमें क्षमाभाव रखना सिखाते हैं मयंक जैन

सोमवार को श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह श्री जी का अभिषेक व पूजा पाठ के बाद बोली हुई,
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2025-09-09 17:28:53

अलीगढ़। सोमवार को श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह श्री जी का अभिषेक व पूजा पाठ के बाद बोली हुई, मुख्य बोली विजय जैन, पारस जैन पारस स्टेशनरी परिवार ने ली। बोली उपरांत श्री जी की पालकी यात्रा निकाली गई जो श्री लख्मी चंद पांड्या दिगम्बर जैन मंदिर पहुंची, वहाँ पर भजन संध्या हुई। तो वहीं लगभग साढ़े चार बजे श्री लख्मी चंद पांड्या दिगम्बर जैन मंदिर से रथ यात्रा प्रारम्भ हुई, जो आगरा रोड, सराय मानसिंह, बजरिया होती हुई श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर जाकर समाप्त हुई व श्री जी का अभिषेक हुआ। श्री जी के अभिषेक के बाद लोगों ने आपस में एक दूसरे से गत वर्ष हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगी। इस दौरान विजय कुमार जैन, अखिलेश कुमार जैन, नरेश जैन, पारस जैन, संजय जैन, नरेंद्र कुमार जैन, सिनेश जैन, अम्बुज जैन, संवेग जैन, मनीष जैन, अमन जैन, निशांत जैन, सागर जैन, कुणाल जैन, सीमा जैन, ममता जैन, श्रखला जैन, अलका जैन, आरती जैन, आशा जैन, अंशिका जैन आदि लोग उपस्थित रहे। इस दौरान मयंक जैन ने बताया कि जैन धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्म हमें क्षमाभाव रखना सिखाते है, सभी धर्म यही कहते हैं कि हमें सबके प्रति अपने मन में दया और क्षमा का भाव रखना चाहिए। इसी तरह भगवान महावीर स्वामी और हमारे अन्य संत-महात्मा भी प्रेम और क्षमा भाव की शिक्षा देते हैं। अतः यही सत्य है कि हर मनुष्य के अंदर क्षमा भाव का होना बहुत जरूरी है। भगवान महावीर ने हमें आत्म कल्याण के लिए दस धर्मों के दस दीपक दिए हैं। प्रतिवर्ष पर्युषण आकर हमारे अंतः करण में दया, क्षमा और मानवता जगाने का कार्य करता है, जैसे हर दीपावली पर घर की साफ सफाई की जाती है, उसी प्रकार पर्युषण पर्व मन की सफाई करने वाला पर्व है। इसीलिए हमें सबसे पहले क्षमा-याचना हमारे मन से करनी चाहिए।

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