2025-08-15 19:50:16
आज 15 अगस्त 2025 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के लिए नए युग की रूपरेखा पेश करने वाला एक दूरदर्शी रोडमैप है। इस साल की सबसे बड़ी घोषणाओं में दिवाली तक लागू होने वाले ‘नेक्स्ट-जनरेशन GST सुधार’ और युवाओं के लिए शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ रही। एक ओर कर संरचना में व्यापक सुधार से आम जनता और कारोबारी वर्ग को राहत मिलने का भरोसा दिलाया गया, वहीं दूसरी ओर युवाओं को रोजगार के शुरुआती चरण में सीधी आर्थिक सहायता देने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया। इन दोनों पहलों का साझा लक्ष्य, भारत को एक तेज, समावेशी और आत्मनिर्भर आर्थिक ताकत में बदलना है। GST सुधार की पृष्ठभूमि? प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लालकिले की प्राचीर से की गई दोनों मुख्य घोषणाएं, दो विशाल आर्थिक पहियों- टैक्स सुधार और रोजगार सृजन पर केंद्रित हैं जो विकास और सहज जीवन की दिशा में एकता का संदेश हैं। ये दोनों फैसले करदाताओं और उपभोक्ताओं के जीवन पर सीधा असर डालने वाले हैं। वर्तमान में भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर 4 प्रमुख GST स्लैब लागू हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा कीमती धातुओं जैसी विशेष श्रेणियों पर 0.25% और 3% की दर से टैक्स वसूला जाता है। मोदी सरकार अब इस ढांचे को सरल और तर्कसंगत बनाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत विशेषकर रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं जैसे किराना, पैकेज्ड फूड, कपड़े, जूते-चप्पल और घरेलू सामान कम कर दर के दायरे में आएंगे। इससे न केवल उपभोक्ताओं का मासिक खर्च घटेगा बल्कि छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता भी बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सुधार कर प्रशासन में पारदर्शिता और अनुपालन को आसान बनाएगा, जिससे व्यापार करने की सुगमता (Ease of Doing Business) में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। GST सुधार का संभावित आर्थिक असर GST स्लैबों में प्रस्तावित बदलावों को केवल टैक्स कटौती के नजरिए से नहीं देखा जा सकता बल्कि यह एक रणनीतिक आर्थिक निवेश है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 12% स्लैब में आने वाली वस्तुएं जैसे- पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, कपड़े, होटल सेवाएं और अन्य उपभोग सामग्री देश की कुल खपत का लगभग 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा रखती हैं और GST राजस्व में 5 से 6 प्रतिशत का योगदान करती हैं। अगर इन्हें 5% स्लैब में ले जाया जाता है तो सरकार को लगभग 50,000 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व घाटा हो सकता है, जो GDP का करीब 0.15% है। लेकिन आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इस अस्थायी नुकसान की भरपाई तेजी से बढ़ती उपभोक्ता मांग से हो सकती है। वैश्विक वित्तीय संस्थानों की रिपोर्ट के मुताबिक, कर दरों में कटौती से घरेलू खपत में 0.6% से 0.7% तक की बढ़ोतरी संभव है। यह बढ़ी हुई मांग उत्पादन को गति देगी, जिससे उद्योगों में निवेश और रोजगार सृजन की संभावनाएं बढ़ेंगी। एक उच्चस्तरीय मंत्री समूह पहले से ही इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहा है ताकि कर संरचना को सरल बनाने और व्यापार को प्रोत्साहित करने के बीच सही संतुलन साधा जा सके। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य कम टैक्स, ज्यादा खपत और तेज आर्थिक वृद्धि का चक्र स्थापित करना है। युवाओं के लिए भी सीधा आर्थिक संबल स्वतंत्रता दिवस भाषण का दूसरा बड़ा ऐलान था ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’। इस योजना का उद्देश्य है, देश के युवाओं को नौकरी के शुरुआती चरण में आर्थिक सहारा देना और निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना। योजना के तहत, जो युवा पहली बार निजी क्षेत्र में नौकरी पा रहे हैं उन्हें सरकार की ओर से 15,000 रुपये की सहायता राशि मिलेगी। यह राशि दो किश्तों में दी जाएगी- पहली किश्त छह महीने का रोजगार पूरा करने पर और दूसरी किश्त एक वर्ष की निरंतर सेवा के बाद। यह योजना केवल युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि नियोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद है। जिन कंपनियों में ये युवा काम करेंगे उन्हें भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी ताकि वे अधिक से अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा करें। योजना का लाभ उन युवाओं को मिलेगा जिनकी मासिक सैलरी 1 लाख रुपये से कम है और जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पंजीकृत हैं। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे केवल वित्तीय पैकेज नहीं बल्कि युवाओं में आत्मविश्वास जगाने और उनके करियर की शुरुआत को सुरक्षित बनाने का एक दीर्घकालिक निवेश बताया। दोनों पहलों के बीच रणनीतिक सामंजस्य GST सुधार और रोजगार योजना, देखने में दो अलग-अलग घोषणाएं लग सकती हैं लेकिन इनके बीच गहरा आर्थिक संबंध है। GST दरों में कमी से घरेलू खपत में तेजी आएगी जिससे उत्पादन और व्यापार का दायरा बढ़ेगा। बढ़े हुए उत्पादन और बिक्री से कंपनियां अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने की स्थिति में होंगी और ऐसे में प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना उन कंपनियों को प्रोत्साहित करेगी जो नए युवाओं को नौकरी पर रखेंगी। इस तरह, एक ओर उपभोक्ता को सस्ता सामान मिलेगा तो दूसरी ओर युवाओं को रोजगार के अवसर और आर्थिक सहारा मिलेगा। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था के दोनों पहियों को गति मिलेगी। आर्थिक विकास की बड़ी तस्वीर में इन घोषणाओं का स्थान इन घोषणाओं को अगर व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार ‘विकसित भारत 2047’ के अपने लक्ष्य की दिशा में बहुस्तरीय रणनीति अपना रही है। GST सुधार से लेकर रोजगार सृजन और उत्पादन बढ़ाने तक, हर पहल आपस में जुड़ी है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सेमीकंडक्टर उत्पादन, स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी आने वाली सफलताओं का जिक्र किया। दिसंबर 2025 तक ‘Made in India’ सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में आने की संभावना है और भारत ने अपने 50% क्लीन एनर्जी लक्ष्य को तय समय से पाँच साल पहले ही हासिल कर लिया है। ये सब कदम मिलकर एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होगी। जनमानस और बाजार की प्रतिक्रिया स्वतंत्रता दिवस की इन घोषणाओं के बाद बाजार विशेषज्ञों और उद्योग जगत में सकारात्मक माहौल देखा गया। खुदरा व्यापारियों से लेकर बड़ी कंपनियों तक ने GST सुधार के प्रस्ताव का स्वागत किया क्योंकि इससे मांग में बढ़ोतरी और बिक्री में उछाल आने की उम्मीद है। युवा वर्ग ने रोजगार योजना को एक प्रेरक कदम बताया, खासकर उन लोगों ने जो अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं और जिनके लिए शुरुआती आर्थिक स्थिरता बेहद अहम होती है। सोशल मीडिया पर भी GST सुधार और रोजगार योजना को लेकर चर्चा तेज रही, जिससे यह साफ है कि ये पहल केवल नीतिगत बदलाव नहीं बल्कि जन-भावनाओं से भी जुड़ी हैं। ‘विकसित भारत’ की ओर निर्णायक कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 अगस्त 2025 की घोषणाएं इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि सरकार अल्पकालिक राहत और दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों के बीच संतुलन साधने के लिए ठोस कदम उठा रही है। GST सुधार जहां नागरिकों की जेब में सीधी बचत कराएगा और व्यापार को प्रोत्साहित करेगा, वहीं प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना युवाओं को आर्थिक संबल और रोजगार सुरक्षा देगी। इन दोनों पहलों का संयुक्त असर भारत को एक तेज, सशक्त और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। इस स्वतंत्रता दिवस का संदेश स्पष्ट है कि भारत की यात्रा और गति पकड़ने वाली है। तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं से इतर मोदी सरकार लगातार विकास को जमीन पर उतारने के लिए ठोस नीतिगत और आर्थिक फैसले ले रही है। दिवाली तक का इंतजार केवल त्योहार के उल्लास का नहीं होगा बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा में एक नया अध्याय शुरू होने का प्रतीक भी होगा।