अगर कुत्ता न काटे तो भी लग सकता है रेबीज का टीका, तो आखिर क्यों नहीं लगवा सकते? जानें वजह

भारत में हर महीने लाखों लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं। कुत्तों के अलावा बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने से रेबीज
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2025-08-16 20:24:12

नेशनल : भारत में हर महीने लाखों लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं। कुत्तों के अलावा बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने से रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी फैलने का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए एंटी-रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह टीका जानवरों के काटने से पहले क्यों नहीं लगवाया जा सकता? जबकि कई बीमारियों के बचाव के लिए बच्चों को पहले से ही टीके लगाए जाते हैं, एंटी-रेबीज वैक्सीन के साथ ऐसा नहीं होता है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सागर बोरकर ने इसका कारण बताया है। क्यों सिर्फ काटने के बाद लगता है टीका? डॉ. सागर बोरकर बताते हैं कि एंटी-रेबीज वैक्सीन को सामान्य टीकाकरण अभियान के टीकों से अलग माना जाता है। यह वैक्सीन सिर्फ किसी जानवर के काटने के बाद ही लगाई जाती है। यह शरीर में वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाती है और रेबीज जैसी 100% मृत्यु दर वाली बीमारी से बचाती है। यह वैक्सीन प्रीकॉशन के तौर पर नहीं लगाई जाती, क्योंकि: विशेषज्ञों के लिए छूट: डॉ. बोरकर के अनुसार, यह वैक्सीन सिर्फ उन लोगों को पहले से लगाई जाती है जो वेटरीनरी डॉक्टर हैं या उन इलाकों में काम करते हैं जहां जानवरों से रेबीज होने का खतरा ज्यादा होता है। असर की सीमित अवधि: इस वैक्सीन का असर करीब 3 साल तक रहता है। अगर किसी व्यक्ति को पहले ही यह टीका लगाया जाए और उसके बाद 3 साल के भीतर कोई जानवर काटे तो उसे केवल दो बूस्टर डोज की जरूरत होती है। हालांकि, आम लोगों के लिए नियमित तौर पर इसे लगवाने की सिफारिश नहीं की जाती है। डॉ. बोरकर ने बताया कि बूस्टर डोज का फैसला घाव की गंभीरता और काटने वाले जानवर की स्थिति को ध्यान में रखकर लिया जाता है। इसलिए, अगर कभी कोई जानवर काट ले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है।

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