2025-08-02 19:28:43
दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ एकतरफा टैरिफ लगाने का ऐलान करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था पर कुछ टिप्पणियां की थी । जानकारों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की यह टिप्पणी दबाव बनाने का प्रयास बताई जा रही है लेकिन घरेलू राजनीति के मोर्चे पर विपक्ष के कुछ दलों खासतौर पर कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इसे हाथों-हाथ लपक लिया। ट्रंप के दावों को सही बताते हुए एक बार फिर से मोदी सरकार की अर्थनीति पर हमला बोला और भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर ही सवाल उठा दिए। जाहिर सी बात है की किसी विदेशी नेता के दिए हुए बयान का देश की सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता की ओर से समर्थन करना सत्ताधारी दल भाजपा को रास नहीं आया, इसके साथ ही राहुल के ही पार्टी के कई सहयोगियों और खुद इंडिया गठबंधन के कुछ दलों ने भी राहुल की टिप्पणी को सही नहीं माना। सबसे पहले बात कर लेते हैं राहुल के बयान पर सत्ताधारी दल भाजपा की प्रतिक्रिया पर। बीजेपी की ओर से राहुल गांधी के बयान का पलटवार करते हुए पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी ने 140 करोड़ भारतीयों के पसीने और मेहनत का अपमान किया है। उन्होंने राजनीति में गिरावट का नया स्तर छू लिया है। उन्होंने राहुल पर सीधा वार करते हुए यहां तक कह दिया कि अगर कुछ सच में डेड है, तो वो राहुल गांधी की राजनीति है। बीजेपी ने IMF और वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज है, महंगाई छह साल के न्यूनतम स्तर पर है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर रिकॉर्ड लेवल पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की बात को दोहराना भारत की साख गिराने जैसा है। यह तो थी सत्ताधारी दल भाजपा की प्रतिक्रिया। भाजपा ही नहीं राहुल की अपनी पार्टी कांग्रेस में भी इस मामले पर एक राय नहीं हैं। कई दिग्गज नेताओं ने राहुल की बयान को खारिज करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ की है ।इन नेताओं में तीन पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला शामिल हैं। शशि थरूर से जब ट्रंप के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है और सभी यह बात जानते है। थरूर के साथ ही सांसद मनीष तिवारी और और राजीव शुक्ला ने भी ट्रंप के इस बयान का पूरी तरह से खंडन किया है। राजीव शुक्ला ने ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था मरी नहीं है। शुक्ला ने कहा कि पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में देश में आर्थिक सुधार शुरू किए गए थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने उन सुधारों को आगे बढ़ाया और मनमोहन सिंह ने अपने दस साल के कार्यकाल में उसे और बेहतर किया और मोदी सरकार भी इसी दिशा में प्रयास कर रही हैं। मनीष तिवारी की राय भी राहुल गांधी से बिल्कुल जुदा है। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत की ताकत का प्रमाण है। कांग्रेस के सहयोगी दल भी राहुल के बयान से सहमत नजर नहीं आए शिवसेना यूपीटी के नेता प्रियंका चतुर्वेदी तो यहां तक कह डाला कि जो इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं वह अहंकारी और अज्ञानी है। यानी पार्टी के भीतर ही नहीं सहयोगी दल भी राहुल के साथ इस मामले में खड़े नजर नहीं आ रहे हैं। यह तो रही बात सियासी प्रतिक्रियाओं की। अब जरा हम इस मामले में आंकड़ों पर नजर डालें तो भी कहानी राहुल के बयानों से मैच नहीं करती है। सच्चाई यह है कि पिछले एक दशक से एक दशक से भी कम समय में, भारत ‘नाजुक पाँच’ अर्थव्यवस्थाओं से बाहर निकलकर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। मनमोहन सिंह सरकार के समय में भारत जहां दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था वहीं अब मोदी सरकार में भारत दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में आ गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर नजर डाले तो वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही वो दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता, तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता और चौथा सबसे मजबूत शेयर बाजार है। भारत का कार्यबल लगभग 52 करोड़ है, जिसके 2030 तक 60 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत की 50% से ज्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र की है, जो इसे दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक बनाती है। हाल के वर्षों में, ग्रीनफील्ड एफडीआई परियोजनाओं के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है। भारत में 121 यूनिकॉर्न हैं, जो इसे अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाता है। भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग 2014 में 142 से बढ़कर 2020 में 63 हो गई। आईएमएफ के हालिया अनुमानों के अनुसार, भारत के 2025 और 2026 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह वृद्धि दर अमेरिका (1.9 प्रतिशत) और जापान (0.7 प्रतिशत) जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है। वित्त वर्ष 2023-2024 में, भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 9.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो एक दशक से भी अधिक समय में सबसे अधिक है। भारत 2027 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित जीडीपी के साथ नाममात्र जीडीपी के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा देश बनने के लिए तैयार है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में, निर्यात भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 21.2% का योगदान देगा, जो दर्शाता है कि व्यापार देश के आर्थिक विस्तार में किस प्रकार सहायक हो रहा है। भारत की घरेलू मांग मजबूत है, वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में निजी खपत 7.4% बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 56% हो जाएगी। अच्छी फसल और कम मुद्रास्फीति से प्रेरित ग्रामीण खपत, उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री का लगभग 40% है। इसी अवधि में निजी क्षेत्र के निवेश में 7.5% की वृद्धि हुई, जो अर्थव्यवस्था में विश्वास को दर्शाता है। भारत को युवा और कुशल कार्यबल का लाभ मिलता है, जिसकी औसत आयु 28.8 वर्ष है, जबकि अमेरिका और यूरोप में यह आयु अधिक है। यह जनसांख्यिकीय लाभ एआई, आईटी और अंतरिक्ष जैसे तकनीकी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दे रहा है। भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम ने 2024 में हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में 4.2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। भारत का कुल निर्यात 2024-25 में रिकॉर्ड 824.9 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें स्मार्टफोन, दवाइयां और वस्त्र जैसे उच्च-तकनीकी उत्पाद शामिल हैं। इन सब आंकड़ों के अलावा अगर हम जीएसटी के आंकड़े को देखें तो आज ही आए जीएसटी के आंकड़े भी ट्रंप और राहुल के बयानों की हवा निकालते हुए दिखाई पड़ते हैं। भारत सरकार को जुलाई 2025 में वस्तु एवं सेवा कर यानी GST के रूप में 1.96 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 7.5% अधिक है, जो देश की आर्थिक गतिविधियों में निरंतर सुधार और करदाताओं के दायरे के विस्तार का संकेत देता है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लगातार चौथे महीने जीएसटी संग्रह ₹1.80 लाख करोड़ से ऊपर बना हुआ है। कुल मिलाकर यह सारे आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि भारत अभी भी दुनिया का ब्राइट स्पॉट बना हुआ है और न केवल ट्रंप बल्कि राहुल गांधी के इस तरह के दावों में कोई सच्चाई नहीं है और यह केवल एक सियासी बयान बाजी भर है।