गौरा को हल्दी लगाकर गौने का होगा आरंभ ||

महंत आवास (गौरा-सदनिका) पर आज होगी गौरा की हल्दी निलांचल से आयी हल्दी लगेगी गौरा को ||
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2025-03-07 21:22:30

वाराणसी:- महाशिवरात्रि पर शिव -पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम में शुक्रवार को विश्वनाथ मंदिर के टेढीनिम स्थित मंहत आवास पर गौरा को कामख्या से आयी हल्दी लगा कर आरंभ हो जाएगा | टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास गौरा के विग्रह समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार काशीवासियों द्वारा पूर्ण किया जाएगा संध्याबेला में गौरा को हल्दी लगाई जाएगी इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वाह किया गया था | हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा होगी एक तरफ मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई जाएगी | यह रस्म विश्वनाथ मंदिर के मंहत डा.कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के बाद पहली बार उनकी पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में वंश परंपरानुसार उनके पुत्र पं.वाचस्पति तिवारी निभायेंगे | मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान होगा ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के गीत मुखर होंगे | हल्दी के पारंपरिक गौरा गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान कर शिवांजलि प्रस्तुत किया जाएगा वहीं इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी दी जाएगी | शिवाजंली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर शिवांजलि के तहत स्थानीय कलाकार भजनों की प्रस्तुति करेंगे | शिवांजली के अध्यक्ष पं.वाचस्पति तिवारी ने बताया कि गौरा की हल्दी लगने के साथ गौने के पारंपरिक उत्सव आरंभ हो जायेगा | महंत परिवार द्वारा की जाने वाली बाबा विश्वनाथ के गौने विधान पूर्ण करने की तैयारी कर ली गई है महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने का कर्मकांड पूर्ण परंपरानुसार पूर्ण किया जाएगा | महंत वाचस्पति तिवारी ने बताया शुक्रवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में गौरा की चल प्रतिमा का 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा विशेष पुजन किया जायगा दोपहर में भोग आरती के बाद गौरा की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया जायगा | वाचस्पति ने बताया महंत आवास पर काशी के लोकउत्सव की शुरूआत बंसत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ जी के प्रतिमा का तिलकोत्सव करके हो गई है जो 10 मार्च रंगभरी एकादशी काशीवासियों द्वारा बाबा की पालकी (गौना यात्रा) तक अनवरत चलती रहेगी

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