चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल की मिठाई का बदला स्वाद, हलवाई कैदियों के जाने से फीका पड़ा जायका

मिठाई के शौकीन कई लोग इन दिनों एक ही बात करते सुनाई देते हैं “सृजन शॉप वाली मिठाई में पहले जैसा स्वाद नहीं रहा
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2025-08-14 19:50:51

चंडीगढ़। मिठाई के शौकीन कई लोग इन दिनों एक ही बात करते सुनाई देते हैं “सृजन शॉप वाली मिठाई में पहले जैसा स्वाद नहीं रहा।” क्योंकि माडर्न जेल बुड़ैल के वे ट्रेंड हलवाई कैदी अब जेल में नहीं हैं, जिन्होंने बरसों तक अपनी कारीगरी से मिल्क केक, बेसन की बर्फी, रसगुल्ले और गुलाब जामुन का ऐसा जायका दिया कि प्रशासक से लेकर बड़े अधिकारियों तक सभी इसके दीवाने हो गए थे। भट्टूकलां के हलवाई भाइयों की कहानी हरियाणा के फतेहाबाद ज़िले के भट्टूकलां गांव के सगे भाई (पेशा हलवाई) चंडीगढ़ की जेल में सजा काट रहे थे। जेल में रहते हुए उन्होंने मिठाई बनाने का ऐसा हुनर दिखाया कि सृजन शॉप का मेन्यू लगातार बढ़ता गया। देसी घी की जलेबी से लेकर खोये की बर्फी तक, हर मिठाई में उनकी पहचान झलकती थी। लेकिन समय के साथ वे सजा पूरी कर रिहा हो गए या जमानत पर बाहर चले गए। उनके सिखाए एक और मुख्य हलवाई कैदी पर पूरा काम आ गया। वह अकेले ही ऑर्डर निपटाते-निपटाते थक गया। पैरोल की मांग पहले ठुकराई गई, लेकिन बाद में मिली तो वह लौटकर नहीं आया। जेल किचन की ‘मीठी’ मशीनरी गड़बड़ाई ट्रेंड कैदियों के जाने से जेल किचन का सिस्टम बिगड़ गया। अब नए कैदी मिठाई बना तो रहे हैं, लेकिन वह पुराना स्वाद नहीं आ पा रहा। सेक्टर-22 स्थित सृजन शॉप पर आने वाले ग्राहक, खासकर शहर का प्रतिष्ठित वर्ग और प्रशासनिक अधिकारी, मिठाई के जायके में यह बदलाव साफ महसूस कर रहे हैं। पहले ईट-राइट जेल का तमगा माडर्न जेल की मिठाई की पहचान केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि शुद्धता भी रही है। एफएसएसएआई ने 2021 में इसे देश का पहला ईट राइट जेल कैंपस घोषित किया था। यहां की मिठाई बड़े ब्रांड की तुलना में सस्ती 220 से 440 रुपये प्रति किलो मिलती थी, जबकि बाहर वही मिठाई 500 से 800 रुपये किलो में बिकती है। त्योहारों पर सिफारिशें, ऑर्डरों में पसीना त्योहारों के समय तो जेल मिठाई की मांग और बढ़ जाती है। पंजाब राजभवन से लेकर नगर निगम तक, कई विभाग ऑर्डर देते हैं। प्रशासक भी राजभवन स्टाफ को यह मिठाई भेंट करते हैं, और नगर निगम अधिकारी इसे सफाई मित्रों तक पहुंचाते हैं। कई बार तो मिठाई के लिए सिफारिश लगानी पड़ती है। अब मुख्य हलवाई न होने के कारण ऑर्डर पूरे करने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। जन्माष्टमी के लिए मथुरा के विशेष पेड़ों (मिठाई और सजावट) का बड़ा ऑर्डर मिला है, लेकिन पिछले साल जैसे मारामारी से बचना मुश्किल लग रहा है। जेल की क्रिएटिव वर्कशॉप मिठाई ही नहीं, बुड़ैल जेल के कैदी फर्नीचर, गमले, बैग, कैंडल, मसाले, पेंटिंग, स्कल्पचर और सजावटी सामान भी तैयार करते हैं। नर्सरी में पौधे उगाकर सृजन शॉप पर बेचे जाते हैं। बेकरी यूनिट में कुकीज़ और ब्रेड भी बनती हैं। लेकिन इन सबमें मिठाई का खास स्थान है, क्योंकि यही वह ‘मीठा चेहरा’ है, जिससे जेल की पहचान बनी।

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