2024-12-06 16:21:01
गुरुग्राम । जीयू यूनिवर्सिटी के प्रबंधन विभाग और वालपराइसो विश्वविद्यालय, इंडियाना, यूएसए के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय 4th अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ । चक्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन: ट्रिपल बॉटम लाइन और उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पवन जिंदल, सामाजिक कार्यकर्ता, कार्यक्रम अध्यक्ष गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार, मुख्य संरक्षक डॉ. राजीव कुमार आदि ने दीप प्रज्ज्वलन कर समापन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया । इस दौरान सम्मेलन के लिए 100 से अधिक रिसर्च पेपर प्राप्त हुए। सम्मेलन में विघटनकारी अर्थव्यवस्थाओं और उद्यमियों की बदलती भूमिका के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के लगभग 192 से अधिक शोध विद्वान, संकाय सदस्य, छात्र और प्रमुख अधिकारी एक साथ आए । इस दौरान गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार जी ने मुख्य अतिथि पवन जिंदल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गुरुग्राम विवि के प्रबंधन विभाग की डीन डॉ. अमरजीत कौर ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लक्ष्यों के बारे में सभी को जानकारी दी। इस मौके पर मुख्य अतिथि पवन जिंदल ने अपने अनुभवों और वास्तविक जीवन के उदाहरणों के साथ सम्मेलन के विषय पर चर्चा की । जिंदल ने कहा कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है, जो दुनिया को रास्ता दिखाने वाला है, उन्होंने संस्कृति के चार मुख्य आधार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के माध्यम से सर्कुलर इकॉनमी के बारे में बारीकी से समझाया आगे उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक परिपत्र अर्थव्यवस्था में परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत ने स्पष्ट किया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली के निशानों को देखते हुए, भारत ने हमेशा ट्रिपल बॉटम लाइन अवधारणा पर जोर दिया और प्रकृति का शोषण नहीं करने के लिए कहा वही दूसरी और गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने युवा शोधकर्ताओं को समाज और पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए सार्थक और परिणामोन्मुखी अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने 4th इंटरनेशनल कांफ्रेंस के सफलतापूर्वक समापन हेतु मैनेजमेंट विभाग की डीन डॉ. अमरजीत कौर, डॉ. सुरभि गोयल समेत पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए छात्रों के ज्ञानवर्धन हेतु उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की ।