केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर टिकट मिलने के बाद से अब तक नहीं गए अपनी विधानसभा दिमनी,पुत्रों के भरोसे चुनाव प्रचार

मध्य प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियां अपनी गति पकड़ रही है
News

2023-10-15 17:39:39

ग्वालियर :- मध्य प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियां अपनी गति पकड़ रही है।भारतीय जनता पार्टी ने तीन सूचियाँ प्रत्याशियों की जारी कर दी है ।इन सूचियों में सांसद और केंद्रीय मंत्रियों के नाम विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए शामिल हैं।केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मुरैना की दिमनी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। तोमर का टिकट फ़ाइनल हुए दो सप्ताह से भी ज़्यादा बीत चुके हैं, लेकिन वह अभी तक अपनी विधानसभा में एक भी बार नहीं गए हैं। मुरैना के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।इधर केन्द्रीय मंत्री तोमर के पुत्रों ने दिमनी विधानसभा में चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया है।इससे यह अटकलें लगायी जा रही है कि नरेन्द्र सिंह तोमर टिकट मिलने से प्रसन्न नहीं है। मुरैना के एक राजनैतिक विश्लेषक बताते हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर अपने बड़े पुत्र को टिकट दिलाना चाहते थे और वह आश्वस्त रहे कि वह बेटे को टिकट दिलाने में क़ामयाब हो जाएंगे पर ऐसा संभव नहीं हुआ ।भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री को ही मुरैना की सभी छह सीटों के जीतने का टारगेट देकर उन्हें भी मैदान में उतार दिया। इस बात से वह संतुष्ट नहीं है ऐसा लोगों का कहना है ।

बता दें कि दिमनी कांग्रेस का गढ़ है। वर्ष 2008 में आखिरी बार भाजपा को यहां से जीत मिली थी। इसके बाद से वह जीत के लिए हाथ-पैर मार रही है। चूँकि मुरैना क्षत्रीय बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में नरेंद्र सिंह तोमर को कांग्रेस के अभेद किले में भेजकर सभी सभी को हैरानी प्रकट करने का मौक़ा दे दिया है।भारतीय जनता पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व आश्वस्त है कि नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रभाव से वह कांग्रेस की इस अवैध क़िले को तोड़कर रख देगी। मुरैना और दिमनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि नरेन्द्र सिंह तोमर दिमनी में शिवमंगल सिंह तोमर और गिर्राज दंडौतिया को टिकट दिलाते थे ।यह दोनों भी तोमर के ख़ास समर्थक हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का सूची में नाम आने से पहले यह दोनों नेता भी टिकट मिलने को लेकर आश्वस्त थे और तैयारियां भी शुरू कर चुके थे लेकिन अपने नेता को टिकट मिलने के बाद इनके चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फिर गया है। अब भारी मन से ये नरेंद्र सिंह तोमर का चुनाव प्रचार और सहयोग करेंगे, लेकिन असल में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा

यह आने वाला समय ही बताएगा।इनमें गिर्राज 2018 में जीते थे और उप चुनाव में हार गए थे। प्रतिहार गुर्जर विवाद से भी पड़ेगा चुनावों पर असर उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों से ग्वालियर अंचल में गुर्जर प्रतिहार विवाद देखा जा रहा है।इसको लेकर कई बार क्षत्रीय और गुर्जर समाज आपस में भिड़ चुके हैं।मामला न्यायालय के समक्ष है। लेकिन अब तक ऐसा कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आ सका। इससे एक समाज काफ़ी आक्रोशित बताया जा रहा है।ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को नाराज समाज के वोट मिलेंगे इस पर संशय के बादल हैं। बता दें कि पूर्व के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के रहने वाले पूर्व विधायक करतार सिंह भड़ाना को मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रत्याशी घोषित किया था।इस सीट पर पहले बसपा से डॉ रामलखन कुशवाहा के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन जिम्मेदारी करतार सिंह भड़ाना को दे दी गई।इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। भड़ाना को गुर्जर समाज ने भर -भरकर वोट दिये।लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर ने बाज़ी मारी। वे एक लाख से ज़्यादा वोटों से लोकसभा चुनाव जीते थे।पर उनकी जीत में गुर्जर समुदाय के वोटों का प्रतिशत बहुत ही कम था।गुर्जर प्रतिहार विवाद के कारण गुर्जरों के वोट भाजपा को मिलेंगे इस पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।

Readers Comments

Post Your Comment here.
Characters allowed :
Follow Us


Monday - Saturday: 10:00 - 17:00    |    
info@anupamsandesh.com
Copyright© Anupam Sandesh
Powered by DiGital Companion