2025-07-31 20:03:06
2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने 17 साल बाद गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश ने सबूतों के अभाव में सभी सात आरोपियों, जिनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, को बरी कर दिया। कोर्ट ने खारिज किए अभियोजन के दावे विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि बम मोटरसाइकिल में था। प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया। घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई। कोर्ट ने नोट किया कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) और NIA की चार्जशीट में कई विसंगतियां थीं। इसके अलावा, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ बम बनाने या सप्लाई करने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।सबूतों में गड़बड़ी और जांच में खामियां अदालत ने जांच प्रक्रिया में कई खामियों को रेखांकित किया: घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए। मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर रिकवर नहीं हुआ, और यह साबित नहीं हुआ कि बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी। धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया, जिसके कारण सबूतों में गड़बड़ी हुई। विशेषज्ञों ने घटनास्थल से सबूत इकट्ठा करने में लापरवाही बरती। मामले का इतिहास 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने और नवरात्रि से ठीक पहले हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी, लेकिन 2011 में इसे NIA को सौंप दिया गया। एक दशक से अधिक समय तक चले मुकदमे में 323 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 34 अपने बयानों से पलट गए। आरोप और जमानत सात आरोपियों—प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, और समीर कुलकर्णी—पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा थे। 19 अप्रैल 2025 को अंतिम दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।