2024-12-19 15:33:51
मथुरा जनपद के पेडा मथुरा की पहचान है। मथुरा का पेड़ा अब वृत्त का भोग नहीं रह गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक खाद्य सुरक्षा विभाग मेवा के साथ सूजी मिला कर तैयार किये जा रहे पेडा को मिलावटी नहीं मानता और नहीं इसके खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान है। महंगाई ने अब इस पहचान पर संकट खडा कर दिया है। पेडा की कीमत कम करने और खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्यवाही की जद में आने से बचने के लिए अब मावा के साथ सूजी को मिलाकर पेड़ा तैयार किया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग मावा में सूजी मिला कर तैयार पेडा को मिलावटी नहीं मानता और नहीं इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जा रहा है। इससे पेडा की कीमत कम हो जाती है और खपत बढ़ जाती है जिससे कि कारोबारियों को अच्छा पैसा बच रहा है। पेडा के बाजार का बड़ा हिस्सा अब इसके हवाले है।
दूसरी ओर ब्रज में पेडा को भगवान का भोग माना जाता है। भोग लगाने के बाद भोग प्रसाद के रूप में बांटने का चलन है। प्रसाद को माथे से लगाकर श्रद्धा के साथ ग्रहण किया जाता है। प्रसाद को ग्रहण न करने का विचार भी पाप मानते हैं, ब्रज में बड़ी संख्या में लोग बार त्योहार ब्रत रहते हैं। श्रद्धालु भी बडी संख्या में इसी भाव के साथ आते हैं। ऐसे भक्तों के सामने संकट यह खडा हो गया है। व्रती अन्न ग्रहण नहीं करते और नहीं प्रसाद रूपी पेडा को ग्रहण नहीं करने का विचार मन में ला सकते हैं। हाल ही में वृंदावन, गोवर्धन और श्रीकृष्ण जन्मभूमि क्षेत्र में खाद्य विभाग की टीम ने दुकानों पर बिक रहे पेडा की सैंपलिंग की। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने पेड़ा बनाने की 500 किलो सामग्री को नष्ट कराया था।
वर्जन
मावा में सूजी मिलाकर तैयार किया जा रहा पेडा मिलावटी नहीं होता। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं है, इससे पेड़ की कीमत कम होती है। कारोबारी यह सब बता कर कर रहे हैं, ऐसे में कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
-धीरेन्द्र प्रताप सिंह संयुक्त खाद्य आयुक्त मथुरा