अब हर वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

भारत सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आयुर्वेद दिवस की तिथि को स्थायी रूप से निर्धारित कर दिया है
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2025-08-28 20:00:47

भारत सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आयुर्वेद दिवस की तिथि को स्थायी रूप से निर्धारित कर दिया है। मार्च 2025 में जारी राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, अब हर वर्ष 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। इससे पहले, यह दिवस धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) को मनाया जाता था। आयुर्वेद केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि प्रकृति और व्यक्ति के सामंजस्य पर आधारित जीवन विज्ञान है केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने इस अवसर पर कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा प्रणाली नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और व्यक्ति के बीच सामंजस्य पर आधारित जीवन का विज्ञान है। उन्होंने कहा, “2025 का विषय ‘लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद’ न केवल वैश्विक कल्याण बल्कि एक स्वस्थ पृथ्वी के लिए भी आयुर्वेद की क्षमता को सामने लाता है।” वैश्विक पहचान की ओर अग्रसर आयुर्वेद दिवस आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि 2016 में शुरुआत के बाद से आयुर्वेद दिवस एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों में आयुर्वेद सबसे अधिक अपनाई जाने वाली उपचार प्रणाली है। पीएम मोदी की दृष्टि से जुड़ी उपलब्धियां 9वां आयुर्वेद दिवस (2024) देश की स्वास्थ्य सेवा यात्रा में एक बड़ा पड़ाव रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली के दूसरे चरण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयुर्वेद में चार उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की गई और लगभग 12,850 करोड़ रुपये की लागत वाली स्वास्थ्य संबंधी कई पहलें शुरू की गईं। इसके साथ ही “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” भी प्रारंभ हुआ। जागरूकता और वैश्विक भागीदारी 2025 का आयुर्वेद दिवस केवल औपचारिकता नहीं बल्कि आधुनिक जीवनशैली रोगों, जलवायु संबंधी चुनौतियों और तनाव प्रबंधन जैसे मुद्दों के समाधान की दिशा में एक पहल है। इस वर्ष समारोह के दौरान: जन-जागरूकता अभियान,युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम,स्वास्थ्य परामर्श और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक गतिविधियां आयोजित होंगी। उल्लेखनीय है कि 2024 में आयुर्वेद दिवस के मौके पर 150 देशों में विभिन्न गतिविधियां हुईं, जो आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और प्रभाव को दर्शाती हैं।

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