2025-04-07 17:27:22
केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है, जो मंगलवार से लागू होगी। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय ने साफ किया है कि इसका असर आम लोगों की जेब पर नहीं पड़ेगा, यानी पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम नहीं बढ़ेंगे। मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि सरकारी तेल कंपनियों ने जानकारी दी है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस बढ़ोतरी के बाद पेट्रोल पर अब कुल एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि डीजल पर यह 10 रुपये प्रति लीटर हो गई है। सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें करीब चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई हैं। कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमत $63 प्रति बैरल तक गिर गई है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है। वहीं, अमेरिकी WTI क्रूड $59.57 प्रति बैरल पर आ गया है। अधिकारियों का कहना है कि जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो तेल कंपनियों की लागत घट जाती है और उनका मुनाफा बढ़ता है। ऐसे में सरकार आम उपभोक्ताओं पर बिना बोझ डाले एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है। मंत्रालय ने बताया कि इस अतिरिक्त राजस्व का उपयोग सरकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए किया जाएगा। तेल की कीमतों में गिरावट का कारण अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की मांग में कमी की चिंता बढ़ी है। इसी बीच, OPEC+ देशों ने तेल उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है। वहीं सऊदी अरब ने भी मई महीने के लिए एशियाई खरीदारों को कच्चा तेल $2.3 प्रति बैरल तक सस्ता बेचने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भारत के लिए फायदेमंद है, क्योंकि देश अपनी 85% से ज्यादा तेल जरूरतें आयात से पूरी करता है। इससे भारत का आयात बिल घटता है, चालू खाता घाटा कम होता है और रुपये को मजबूती मिलती है। साथ ही, ईंधन और गैस की कीमतें घटने से महंगाई पर भी असर पड़ता है। वहीं सरकार ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा है, जिससे अब रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत की करीब 38% कच्चे तेल की जरूरतें अब रूस से पूरी हो रही हैं।