मंदिरमस्जिद पर चाहे जो रंग करो, सारे रंग भारत के...

संभल जामा मस्जिद के रंग को लेकर उपजे विवाद पर बोले आचार्य प्रमोद कृष्णम
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2025-03-17 15:07:22

अनुपम सन्देश मुरादाबाद।रविवार को मुरादाबाद पहुचे कल्कि धाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रविवार को कहा कि मंदिर-मस्जिद पर चाहे जो रंग करो, सारे रंग भारत के हैं और सभी रंग परमात्मा के बनाए हुए हैं। जो इन रंगों में रंग गया वह परमात्मा का हो गया। आचार्य प्रमोद कृष्णम राजमहल होटल में पत्रकारों से बात कर रहे थे।nकल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने संभल की जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई के दौरान रंग को लेकर उपजे विवाद पर कहा कि रंग किसी सम्प्रदाय का नहीं होता है, जितने भी रंग हैं ये सभी भारतीय संस्कृति के हैं और मुझे नहीं लगता है कि इस विवाद के पीछे कोई मजबूत तर्क है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी और संजय राउत भारत फिर से भारत का विभाजन करवाना चाहते हैं। जिन्ना के भारत तोड़ने के तरह का ख्वाब अब संजय राउत भी देख रहे हैं। संजय राऊत चाहते हैं एक दूसरा पाकिस्तान बन जाए और राहुल गांधी उसके प्रधानमंत्री बनें। राहुल गांधी को अब राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि हम मुर्दों से लड़ाई नहीं करते। भारत का शौर्य-पराक्रम और भारत की बहादुरी इतिहास में दर्ज है। छत्रपति शिवाजी महाराज गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप या जितने भी हमारे राष्ट्रीय नायक रहे हैं,इन्होंने कभी सनातन के सिंद्धान्त को नहीं तोड़ा और किसी की कब्र को हटाना ये तो तालिबान के काम है। सनातन इसकी अनुमति नहीं देता है। दुश्मन के मर जाने के बाद भी हम उसका सम्मान करते हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत आईएसआईएस की धमकी से कभी नहीं डरा और न ही आतंकवादियों से डरता है। उन्होंने कहा कि जहां तक वक्फ बोर्ड का सवाल है तो वह मुस्लिम भाई-बहनों से प्रार्थना करते हैं कि सरकार पर भरोसा रखें। उनका भला वक्फ बोर्ड नहीं करेगा, उनका भला भारत के भले में ही है। यहां जो जमीन है वह भारत की है। देश की भूमि पर देश का कब्जा होना चाहिए, सरकार जनता के हित में फैसले लेती है। किसी भी भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा करके ये संदेश देना चाहते हैं कि ये जमीन हमारी हो गई तो उन्हें यह जानना चाहिए कि इस देश पर एक बार मुगलों ने भी कब्जा किया था। वह भी चले गए। अंग्रेज भी चले गए तो अब किसी और की क्या विसात है।

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