योगी सरकार का बड़ा फैसला, उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम का गठन

योगी सरकार ने प्रदेश में आउटसोर्सिंग सेवाओं को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
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2025-09-02 21:00:42

लखनऊ, 2 सितंबर। योगी सरकार ने प्रदेश में आउटसोर्सिंग सेवाओं को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में मंगलवार को कुल 15 प्रस्तावों को स्वीकृति दी, जिसमें कम्पनीज एक्ट-2013 के सेक्शन-8 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी देना भी शामिल रहा। यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी, जिसे नान-प्रॉफिटेबल संस्था के रूप में संचालित किया जाएगा। इसके माध्यम से अब आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन सीधे विभाग नहीं करेंगे, बल्कि निगम जेम पोर्टल के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया से एजेंसी का चयन करेगा। आउटसोर्स कर्मचारियों का चयन तीन वर्ष के लिए किया जाएगा। कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारित किया गया है। इस निर्णय के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक कर्मचारी को उसका पूरा हक मिले और उसका भविष्य सुरक्षित रहे। यह निर्णय न केवल लाखों युवाओं को बेहतर अवसर देगा, बल्कि प्रदेश में रोजगार और सुशासन का नया मॉडल भी स्थापित करेगा। क्यों जरूरी था निगम का गठन प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागों और संस्थाओं में लंबे समय से आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से बड़ी संख्या में कार्मिक सेवाएं प्रदान कर रहे थे। लेकिन, लगातार यह शिकायतें सामने आ रही थीं कि उन्हें सरकार द्वारा स्वीकृत मानदेय का पूरा भुगतान नहीं मिल रहा। साथ ही ईपीएफ, ईएसआई जैसी अनिवार्य सुविधाओं का नियमित अंशदान भी कई बार एजेंसियों द्वारा नहीं किया जाता था। इन अनियमितताओं को खत्म करने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए यह निगम गठित किया गया है।

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