एएमयू समन्वयक विश्वविद्यालय के रूप में अग्रणी भूमिका में

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून को गुजरात के केवड़िया में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (10-11 जुलाई 2025) में एक प्रमुख शैक्षणिक पैनल की अध्यक्षता करने का गौरव प्राप्त हुआ।
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2025-07-12 19:42:42

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून को गुजरात के केवड़िया में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (10-11 जुलाई 2025) में एक प्रमुख शैक्षणिक पैनल की अध्यक्षता करने का गौरव प्राप्त हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया था। इस गरिमामयी अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उच्च शिक्षा सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष, शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, एवं देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे। प्रो. खातून को “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्रों (एमएमटीटीसी) की भूमिका” विषय पर गठित विशेषज्ञ पैनल की अध्यक्षता का विशेष अवसर मिला। इस पैनल की समन्वयक विश्वविद्यालय के रूप में एएमयू को नामित किया गया था, जो कि इस विषय पर राष्ट्रव्यापी विचार-विमर्श का नेतृत्व कर रहा है। पैनल में एएमयू के साथ-साथ सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ ओडिशा, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, (बिहार), सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (तेलंगाना), और राजीव गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी (अरुणाचल प्रदेश) के कुलपति भी शामिल थे। प्रो. खातून ने इस अवसर पर एक विस्तृत शोधपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें एमएमटीटीसी की संरचना, उनकी प्रभावशीलता, नवाचार की संभावनाएं तथा नीति निर्माण हेतु बहुआयामी अनुशंसाएँ प्रस्तुत की गईं। शोधपत्र में एएमयू द्वारा संकलित फीडबैक, नीति दस्तावेजों और प्रशिक्षण अनुभवों को आधार बनाया गया। प्रो. नईमा खातून ने कहा कि “एमएमटीटीसी को ऐसे शिक्षण केंद्रों में रूपांतरित किया जाना चाहिए जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति-समावेशी, अंतर्विषयी, नवाचारोन्मुख और डिजिटल रूप से सशक्त के अनुरूप हों। एएमयू इस दिशा में राष्ट्रीय भूमिका निभा रहा है।” सम्मेलन के दौरान कुलपति की प्रस्तुतियों को नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालय प्रमुखों द्वारा बेहद सराहा गया। यह अवसर एएमयू की राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक नेतृत्व की स्थिति को और सुदृढ़ करता है।

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