2025-08-30 19:33:28
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वैवाहिक मामलों में व्यभिचार के आरोप की जांच के लिए कोर्ट पति-पत्नी या प्रेमी के मोबाइल फोन का लोकेशन डेटा मंगवा सकती है। न्यायमूर्ति अनिल खेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने कहा कि जहां व्यभिचार का आरोप है, वहां सुबूत अक्सर परोक्ष होते हैं। होटल में ठहरने, संचार पैटर्न या संपर्क के सुबूत इस मामले में अहम हो सकते हैं। काॅल रिकाॅर्ड और लोकेशन डाटा, यदि केवल शिकायत में बताए गए समयावधि तक सीमित हों, तो यह सीधे मुद्दे से संबंधित हैं। इन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। मोबाइल लोकेशन पेश करने का निर्देश पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका इस्तेमाल निजता का उल्लंघन या बिना वजह की जांच के रूप में नहीं किया जा सकता। सिर्फ उस अवधि तक ही डाटा मांगा जा सकता है, जो शिकायत में उल्लिखित है और यह सुरक्षित व सील किए गए कवर में प्राप्त किया जाना चाहिए। यह आदेश उस अपील पर आया, जिसमें प्रेमी ने पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसमें उसकी और पति-पत्नी के काॅल रिकाॅर्ड और मोबाइल लोकेशन पेश करने का निर्देश दिया गया था। नजरअंदाज नहीं कर सकते हाई कोर्ट ने कहा कि यह आदेश व्यर्थ की जांच नहीं है बल्कि प्रत्यक्ष रूप से मुकदमे की दलीलों से जुड़ा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत गोपनीयता और सूचना की निजता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।