2025-09-14 19:38:39
हजारीबाग:- संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना को लेकर रविवार को पूरे क्षेत्र में जितिया पर्व श्रद्धा, आस्था और परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। मातृत्व प्रेम और संतान के प्रति समर्पण का प्रतीक यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है।सुबह तड़के से ही व्रती माताओ पर्व की तैयारियों में जुट गईं। स्नानादि के पश्चात पारंपरिक विधि-विधान से पूजन कर माताओं ने दिनभर निर्जला उपवास रखा। महिलाओं ने नदी, तालाब और अन्य पवित्र जलाशयों में स्नान कर जितिया माता और जीमूतवाहन भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर महिलाएँ जीमूतवाहन की प्रतीक प्रतिमा को गले में धारण कर दिनभर भक्ति भाव में लीन रहीं। देर शाम गाँवों में सामूहिक रूप से कथा-श्रवण और व्रत की कथा का पाठ किया गया। कहीं भजन-कीर्तन हुए तो कहीं पारंपरिक लोकगीतों से वातावरण भक्तिमय हो उठा। पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्साह और पावनता का माहौल देखने को मिला।वरिष्ठ जनों ने बताया कि यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि जितिया व्रत करने से संतान को लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। यह पर्व माँ और संतान के पवित्र रिश्ते को सशक्त करने वाला, प्रेम, त्याग और समर्पण का अद्वितीय प्रतीक है।